पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 21 अक्टूबर से अपनी सनातनी एकता पदयात्रा शुरू की है।
यह यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक जाएगी, जो कुल 160 किलोमीटर लंबी है। शास्त्री जी का कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना और उनके खिलाफ होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना है। यात्रा के दौरान वह हिंदू समाज में भेदभाव और जातिवाद को समाप्त करने का संदेश देंगे।
यात्रा का मुख्य उद्देश्य और संदेश
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी पदयात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा, “सनातनी एकता पदयात्रा” का मुख्य लक्ष्य हिंदू समाज में एकता को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि यदि आरती के बाद राष्ट्रगीत का गायन मंदिरों में किया जाए, तो यह एक अच्छी पहल होगी। इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि कौन देशभक्त है और कौन नहीं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिदों में भी राष्ट्रगीत का गायन होना चाहिए ताकि यह संदेश पूरे देश में एकता का हो।
धर्मांतरण पर शास्त्री जी का बड़ा बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण एक गंभीर समस्या बन चुका है, और इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि हम उन तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाते। वह मानते हैं कि धर्मांतरण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है, हिंदू समाज को उन लोगों के पास जाकर उत्सव और कथा के माध्यम से जोड़ना।
धार्मिक नेताओं को उन क्षेत्रों में जाना होगा जहां लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनेता वोट बैंक की राजनीति के लिए इन लोगों के पास जाते हैं, लेकिन धार्मिक नेता अपने धर्म को बचाने के लिए उनके पास नहीं जाते।
यात्रा में शामिल होने वाले नेता और अनुयायी
धीरेंद्र शास्त्री की ‘सनातनी एकता पदयात्रा’ 21 नवंबर से 29 नवंबर तक चलेगी। यात्रा के दौरान टी राजा सिंह, तेलंगाना भाजपा नेता और कई अन्य हस्तियों के शामिल होने की संभावना है।
यात्रा के पहले दिन, शास्त्री जी ने यात्रा में शामिल होने आए हजारों अनुयायियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सड़कों पर उतरना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज को एकजुट होकर रहना होगा और समाज में भेदभाव को समाप्त करना होगा।
यात्रा के महत्व और आगे की योजना
धीरेंद्र शास्त्री की यह पदयात्रा हिंदू समाज में एकजुटता की भावना को जागरूक करने का एक बड़ा कदम है। उन्होंने इस यात्रा के माध्यम से सामाजिक एकता और धार्मिक संघर्ष को सुलझाने की कोशिश की है।
उनका मानना है कि हिंदू समाज अगर एकजुट रहे तो किसी भी तरह के अत्याचार या भेदभाव को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। यात्रा के दौरान शास्त्री जी के साथ हजारों अनुयायी भी यात्रा में शामिल हो रहे हैं और समाज में बदलाव लाने के लिए उनका समर्थन कर रहे हैं।