जातीय नृत्य गुसाडी को लोकप्रिय बनाने वाले मशहूर आदिवासी डांसर कनक राजू का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है।
आदिवासी लोक नृत्य कनक राजू जिन्हें जातीय नृत्य गुसाडी को लोकप्रिय बनाने के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने 80 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली।
बताया जाता है कि कनक राजू बीमारी से पीड़ित थे। बीती शाम शुक्रवार को उनका निधन हो गया। इस दुखद पल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। बता दें कि आदिवासी डांसर का अंतिम संस्कार शनिवार की दोपहर कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले के जैनूर मंडल स्थित उनके पैतृक गांव मरलावई में होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डांसर कनक राजू के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, ‘गुसाडी नृत्य को संरक्षित करने में उनका समृद्ध योगदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करेगा।
उनके समर्पण और जुनून ने सुनिश्चित किया कि सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण पहलू अपने प्रामाणिक रूप में पनप सकें। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’ बता दें कि जिस वक्त राष्ट्रपति भवन में कनक राजू को सम्मान दिया गया था, तब पीएम मोदी भी उनसे मिलकर भावुक हो गए थे।
राष्ट्रपति से मिला था पद्मश्री अवॉर्ड
बता दें कि तेलंगाना के डांसर कनक राजू ने 6 दशक से अधिक समय तक गुसाडी का अभ्यास करने में वक्त गुजारा था। वह राज गोंड जनजाति के पारंपरिक नृत्य में माहिर थे। इस परंपरा को बचाए रखने के लिए उन्होंने 40 साल लगा दिए और युवा पीढ़ी को इस कला को सिखाते आ रहे हैं।
तेलंगाना के हजारों आदिवासियों को प्राचीन नृत्य कला की रक्षा और शिक्षा देने के उनके योगदान के लिए कनक राजू को साल 2021 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति भवन में दिया गया था।
अवार्ड मिलने पर क्या था रिएक्शन?
पद्मश्री अवॉर्ड मिलने के बाद डांसर कनक राजू का रिएक्शन भी सामने आया था। उन्होंने कहा था, ‘यह पुरस्कार मुझे क्यों मिला नहीं पता लेकिन मैं खुश हूं कि दिल्ली में मेरे नाम पर विचार किया गया।
मुझे बहुत खुशी होगी कि अगर सरकार मेरी बाकी बची जिंदगी के लिए आश्रय और भोजन की व्यवस्था कर सकें। अगर यह पुरस्कार मुझे खुशहाल जिंदगी जीने में मदद करेगा तो मुझे बहुत खुशी होगी।’
आपको बता दें कि जातीय नृत्य गुसाडी को लोकप्रिय बनाने के लिए कनक राजू को प्रशंसा मिली थी। यह नृत्य फसल कटाई के मौसम में किया जाता है, उस वक्त गोंड लोग गुसाडी टोपी पहनते हैं।
यह लगभग 1,500 मोर पंखों से बनी एक टोपी पहनते हैं। इसे माला बूरा के नाम से जाना जाता है। वहीं लोग कमर में जानवरों की खाल को पहनते हैं।