आरोपों के मायने क्या
ब्लैक लॉ डिक्शनरी के अनुसार, अडानी पर लगे आरोप औपचारिक तौर पर हैं. इसकी पुलिस जांच करती है और फिर सरकारी वकील को पूरी जानकारी दी जाती है.
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आरोप राज्य या केंद्र सरकार से जुड़े हैं या नहीं. अगर अभियोजक को लगता है कि कोई गंभीर बात नहीं है, तो वह खुद इसे खत्म करने की बात कर सकता है. इसकी सुनवाई के लिए एक पैनल बनाया जाता है, जिसमें कम से कम 16 मेंबर होते हैं.
न्यूयॉर्क का कानून कहता है कि किसी भी व्यक्ति पर तब तक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जब तक कि उस व्यक्ति को ग्रैंड जूरी द्वारा दोषी नहीं ठहरा दिया जाता. अभी इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.