पंजाब में किसान एक बार फिर रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इस बार बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर किसान 3 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन करेंगे।
पंजाब के कई जिलों में किसान 3 घंटे तक ट्रेनों की आवाजाही रोकेंगे। 3 अक्टूबर को होने वाले रेल रोको आंदोलन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए किसान नेता सतनाम सिंह साहनी की अध्यक्षता में सोमवार को किसान संगठनों ने बैठक की।
किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनके बेटे आशीष मोनू मिश्रा को अभी तक सजा नहीं मिलने और एमएसपी समेत बाकी 12 मांगों को लेकर किसानों ने 3 अक्टूबर को 3 घंटे का देशव्यापी रेल रोको आंदोलन करने का ऐलान किया है। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी कांड की तीसरी बरसी होगी, जिसमें 8 किसानों की जान चली गई थी।
पंजाब में रेल रोको
पंधेर ने बताया कि पंजाब के 18 जिलों में करीब 30 जगहों पर रेल रोकी जाएगी। इनमें गुरदासपुर जिले में बटाला, तरनतारन शहर और पट्टी, होशियारपुर में टांडा और होशियारपुर खास, लुधियाना में किला रायपुर और साहनेवाल, जालंधर में फिल्लौर और लोहिया, फिरोजपुर जिले में तलवंडी भाई, मल्लावाला, मक्खू, गुरु हर सहाय, मोगा स्टेशन, मोगा जिले में पटियाला स्टेशन, मुक्तसर में मलोट, कपूरथला में हमीरा और सुल्तानपुर, मलेरकोटला में सुनाम, अहमदगढ़ मंडी, फरीदकोट में फरीदकोट शहर, बठिंडा जिले में रामपुरा फूल और पठानकोट जिले में परमानंद के अलावा हरियाणा में तीन जगहों, राजस्थान में दो जगहों, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में दो जगहों पर धरना दिया जाएगा। यूपी में तीन जगहों पर रेल रोकी जाएगी।
बासमती के दाम कम
पंधेर ने आगे बताया कि सरकार जमीन के नीचे पानी बचाने के लिए किसानों को बासमती उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस बार बहुत से किसानों ने बासमती लगाई है, लेकिन बासमती का जो भाव मिल रहा है, वह बहुत कम है।
सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए, पंधेर ने सरकार से मांग की कि किसानों पर जुर्माना लगाने और उन पर रेड एंट्री करने की बजाय पराली की समस्या का कोई ठोस समाधान निकाला जाए।
उन्होंने सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति करने की भी अपील की। इस अवसर पर किसान नेता जसविंदर सिंह लोंगोवाल, दिलबाग सिंह गिल, सुरजीत सिंह फूल, गुरमीत सिंह मांगट, बलवंत सिंह बहरामके, जंग सिंह बठेड़ी, मनजीत सिंह निहाल और अंबाला से किसान नेता अमरजीत सिंह मोहरी मौजूद थे।