दिवाली पर पटाखे चलाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है।
ज्यों-ज्यों जमाना आधुनिक होता जा रहा है, त्यों-त्यों दिवाली पर्व मनाने और पटाखे चलाने के तौर तरीके भी बदलते चले जा रहे हैं।
कुछ साल पहले तक एक परिवार कुछ सौ रुपए के पटाखे खरीद कर दिवाली मना लेता था परंतु अब हजारों रुपए खर्चने के बाद भी वह बात नहीं बनती। कुछ बड़े परिवार तो अब लाख लाख रुपए के पटाखे भी खरीदने लगे हैं। ऐसे में पटाखा कारोबार का स्वरूप भी बदलता जा रहा है।
आज से कुछ साल पहले तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार गुप्ता ने तंग बाजारों में बिक रहे पटाखों पर सख्ती की और खुले स्थान पर पटाखे बेचने के निर्देश दिए। इसके बाद जिला प्रशासन ने बर्ल्टन पार्क में पटाखों की मार्कीट लगवा दी।
पिछले कई साल से बर्लटन पार्क में ही पटाखों की अस्थाई मार्कीट लगती चली आ रही है। यहां हर साल करोड़ों रुपए का पटाखा बेचा और खरीदा जाता है। इस साल भी बर्ल्टन पार्क में अस्थाई पटाखा मार्कीट लगभग तैयार हो चुकी है और आने वाले कुछ दिनों में वहां पटाखे की बिक्री प्रारंभ हो जाएगी परंतु कारोबारियों को मलाल यह है कि उन्हें कारोबार करने के लिए एक सप्ताह का समय भी नहीं मिलता।
फिलहाल मार्कीट के लिए जालंधर पुलिस ने 20 ड्रा निकाल दिए हैं और पटाखा मार्कीट में 20 ब्लॉक बनाए जा रहे हैं जिनमें दुकानों की संख्या 130 के करीब है। वहीं पिछले कुछ सप्ताह से त्यौहारों के मद्देनजर जी.एस.टी. विभाग शहर के अंदरूनी बाजारों और मार्कीटों में सक्रिय है और दुकानदारों को बिल काटने और टैक्स भरने के लिए विवश किया जा रहा है।
सैकड़ों दुकानदारों को नोटिस सर्व करके जुर्माने लगाए जा चुके हैं और जगह-जगह चैकिंग का काम भी जारी है। क्योंकि पटाखा मार्कीट में हर साल करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, इसलिए इस बार जीएसटी विभाग की पैनी नजर बर्ल्टन पार्क पटाखा मार्कीट पर भी है। पता चला है कि जी.एस.टी. विभाग के अधिकारियों ने पटाखा विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि जी.एस.टी. नंबर इत्यादि लेकर ही कारोबार करें और हर सामान का बिल काटा जाए। इन दुकानदारों से एडवांस टैक्स के रूप में 21-21 हजार रुपए की डिमांड भी निकाली गई है। इसे लेकर भी पटाखा विक्रेताओं में रोष पनप रहा है।