हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटों पर शनिवार को 67.90 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जो कि साल 2019 में हुई 67.92% वोटिंग के मुकाबले 0.02 प्रतिशत कम है।
वोटिंग में आई कमी से मंत्री और कांग्रेस-भाजपा के निवर्तमान विधायकों की सीटें भी दूर नहीं रहीं। दोंनों इस घटे मतदान के संभावित नतीजों से डरें हैं। लेकिन दोनों के इसे अपने हक में बताने के तर्क भी हैं।
भाजपा की सीएम नायब सैनी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री रहे 11 नेताओं की सीटों पर कम वोटिंग हुई है। भाजपा के ही 20 विधायकों की सीटों में से आठ सीटों पर भी वोटिंग का प्रतिशत कम रहा है।
कांग्रेस की 22 सीटों पर कम रहा मतदान
कांग्रेस के 31 निवर्तमान विधायकों की सीटों में से 22 पर वोटिंग प्रतिशत कम रहा है। सिर्फ नौ सीटों पर ही ये बढ़ा है। राज्य मंत्री रहे भाजपा के महिपाल ढांडा की पानीपत ग्रामीण सीट पर सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत गिरा है।
यहां 2019 में 67.87% वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार 60.87% मतदान हुआ है। निवर्तमान राज्य मंत्री संजय सिंह की सीट सोहना पर सबसे कम 0.46 प्रतिशत वोटिंग गिरी है।
यहां 2024 में 70.6% और 2019 में 71.06% मतदान हुआ था। हालांकि इस बार संजय सिंह ने नूंह सीट से चुनाव लड़ा था। आरंभ में उनकी सोहना से टिकट काट दी गई थी, लेकिन राजपूत समाज के लोगों द्वारा भाजपा पर दबाव बनाने के बाद संजय सिंह को नूंह भेज दिया गया था।
शहरी निकाय राज्य मंत्री रहे सुभाष सुधा की थानेसर सीट पर 2.13% वोटिंग कम हुई। वोटिंग कम होने का ट्रेंड निवर्तमान कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर की सीट जगाधरी, पूर्व वित मंत्री जेपी दलाल की सीट लोहारू पर भी देखने को मिला। लोहारू, पिहोवा, कलायत और जगाधरी सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा लोकसभा चुनाव में पिछड़ गई थी।
निवर्तमान मंत्रियों की जिन सीटों पर मतदान घटा है, उनमें पानीपत ग्रामीण, बावल, थानेसर, लोहारू, बड़खल, पिहोवा, नारनौल, सोहना, पंचकूला, जगाधरी और कलायत सीटें शामिल हैं।
मंत्रियों को छोड़ बाकी विधायकों के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा 5.26% वोटिंग रतिया में गिरी है। दूसरे नंबर पर 3.79% के साथ तिगांव विधानसभा क्षेत्र है।
सबसे कम हांसी में हुआ मतदान
सबसे कम 0.14% मतदान हांसी और उसके बाद पटौदी में 0.56% कम मतदान हुआ है। जिन 12 सीटों पर वोटिंग बढ़ी है, उनमें पहले नंबर पर 13.82 प्रतिशत के साथ वाली पानीपत शहरी सीट है।
सबसे कम 0.02 प्रतिशत बढ़ोतरी यमुनानगर सीट पर हुई है। कांग्रेस विधायकों वाली 31 सीटों में से नौ पर वोटिंग बढ़ी है, लेकिन इनमें झज्जर, बादली, पुन्हाना, रोहतक और कालांवाली सीटों पर वोटिंग एक प्रतिशत से भी कम बढ़ी है। इसके उलट कांग्रेस की जिन 22 सीटों पर वोटिंग घटी है, वहां सबसे ज्यादा 14.5% की कमी कालका सीट पर दर्ज की गई है। दूसरे नंबर पर 8.36% की कमी खरखौदा सीट पर हुई है। तीसरे नंबर पर 5.34 % कमी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की गढ़ी सांपला किलोई सीट है।
भाजपा के लिहाज से
- जिन सीटों पर वोटिंग घटी, वहां भाजपा का वोटर पार्टी, उम्मीदवार या सरकार से नाराज था। वह किसी दूसरी पार्टी को भी वोट नहीं देना चाहता था, इस वजह से वोटिंग ही नहीं की।
- जिन सीटों पर वोटिंग बढ़ी, वहां लोग और पार्टी के समर्थक मंत्री के कामकाज से खुश थे। वह नहीं चाहते थे कि उनके यहां विधायक या पार्टी को लेकर कोई बदलाव हो।
कांग्रेस के लिहाज से
- जिन सीटों पर वोटिंग बढ़ी, वहां एंटी इन्कंबेंसी की वजह से लोगों ने वोटिंग की। वह भाजपा सरकार में बदलाव कर कांग्रेस को लाना चाहते थे, इसलिए कैंडिडेट को ज्यादा वोट दिए।
- जिन सीटों पर वोटिंग घटी, वहां विधायक के कामकाज को लेकर लोग नाराज थे। लोग न तो उसे वोट देना चाहते थे और न ही विरोध में किसी को वोटिंग की।