वे आप के हरियाणा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष थे। फिर उन्होंने आप भी छोड़ दी थी। आप से इस्तीफा देने के पीछे का कारण कांग्रेस-आप के गठबंधन को बताया था। इसके बाद जनवरी 2024 में तंवर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उन्हें सिरसा से टिकट दिया था। वे हार गए थे।
राहुल गांधी के करीबियों में होती थी गिनती
अशोक तंवर ने साल 2022 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आप का दामन थामा था। इससे पहले वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी में थे। टीएमसी से पहले वह कांग्रेस में थे, जहां उन्होंने एक लंबी पारी खेली थी। एक समय में उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती थी। राहुल गांधी ने ही उन्हें फरवरी 2014 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। कांग्रेस में वह राष्ट्रीय सचिव व यूथ कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच तकरार के बाद 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वह साल 2009 से 2014 तक सिरसा से सांसद भी रहे हैं।
2019 लोकसभा चुनाव के बाद और हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा था। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के साथ राजनीतिक मतभेद और पार्टी में खींचतान के बाद अशोक तंवर ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था।