तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डुओं में मिलावट का मामला उठने पर इसकी जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था।
लेकिन, मंगलवार को आंध्र प्रदेश के डीजीपी ने बताया कि इस जांच को अस्थाई रूप से रोक दिया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक डीजीपी द्वारका तिरुमाला राव ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के अधीन है।
डीजीपी राव ने एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई की वजह से एसआईटी की जांच 3 अक्टूबर तक सस्पेंड रहेगी। एसआईटी का गठन तिरुपति लड्डू प्रसाद मामले की जांच के लिए किया गया था और इसे अस्थायी रूप से रोकने का फैसला एक एहतियाती कार्रवाई है ताकि जांच की अखंडता सुनिश्चित की जा सके। सोमवार को एसआईटी ने तिरुमाला की आटा मिल का जायजा लिया था जहां घी स्टोर होता है और लड्डू बनाने में इस्तेमाल से पहले उसका लैब टेस्ट होता है।
डीजीपी ने कहा कि पहले उन्हें (एसआईटी को) प्रोसेस समझनी होती है, उसका अध्ययन करना होता है और सारी जानकारी हासिल करनी होती है लेकिन इसी बीच सुप्रीम कोर्ट से एक आदेश आया है और उसे देखते हुए हमने जांच को फिलहाल रोक दिया है।
भगवान को राजनीति से दूर रखें: सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के उस बयान पर सवाल उठाए थे जिसमें उन्होंने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि राज्य की पिछली जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति मंदिर में लड्डुओं को बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था।