छठ पर्व लोकल से ग्लोबल हो गया है।
अपने संस्कार और संस्कृति पर गर्व करने वाले बिहार से सात समंदर पार पहुंचे लोग विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। इंग्लैंड में एक ग्रुप यही काम कर रहा है। इस बार बर्मिंघम में चार दिनों के लोकपर्व का आयोजन किया गया है। शुरुआत नहाए खाए से हुई है तो समापन उषा अर्घ से होगा।
कुल 500 परिवार इंग्लैंड के औद्योगिक शहर बर्मिंघम में जुटेंगे। आयोजन वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में किया गया है। पिछले साल लीड्स में ऐसा ही आयोजन किया गया था, जो काफी सफल रहा था। इस बार इसका आयोजन बिहारिज बियॉन्ड बाउंड्री समूह करा रहा है। विधिवत शुरुआत नहाए खाए संग हो चुकी है। महिलाओं ने रीतियों का पालन करते हुए चने और कद्दू की दाल बनाई, चावल बनाया और मिलजुल कर उसका बंधु बांधवों संग सेवन किया।
यहां की गई पूजा व्यवस्था-
खरना से लेकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ देने को लेकर व्यवस्था पूरी की गई है। बिहार, झारखंड और पूर्वांचल मूल के लोग शहर के जाने माने हिंदू मंदिर श्री वेंकटेश्वर बालाजी में मिल जुलकर पर्व मना रहे हैं।
बोकारो में जन्मे अजय कुमार जो इस कार्यक्रम के संयोजक है वो बताते है ‘गत वर्ष की अपेक्षा में करीब 100 अतिरिक्त परिवार हमारे साथ इस वर्ष जुड़े हैं, यह दर्शाता है की छठ पूजा में लोगो का अटूट विश्वास है और जैसे-जैसे लोगो ने इसके बारे में सुना, हमारे साथ जुड़ते चले गए।‘इस बार कुल 13 महिलाएं व्रत रख रही हैं और इनके लिए सारी व्यवस्था 2 महीनों पहले से शुरू कर दी गई थी।
भारत से मंगवाई गई पूजा सामग्री-
दउरा, डलिया, सूथनी जैसी सामग्री भारत के विभिन्न मार्केट्स से लाई गई। इसके अलावा समूह ने अगली पीढ़ी को छठी माई की महिमा ट्रांसफर करने का भी अद्भुत आयोजन किया है। पटना के रहने वाले ऋषिकांत के मुताबिक ‘इस वर्ष हमारी कोशिश यह रहेगी की हमारे बच्चे भी बढ़ चढ़ कर इस महा पर्व को मनाए और हमारी संस्कृति और प्रथाओं से जुड़ा हुआ महसूस करें। इस वर्ष बच्चों के लिए खास छठ पेंटिंग और छठ गीत प्रतियोगिता, एनीमेशन के माध्यम से छठ पूजा की कथा का आयोजन किया है।’
पूजा में पहुंचेगे उच्चाधिकारी-
समूह के कार्यकर्ता निशांत नवीन बताते हैं कि छठ का ये ग्लोबल होता स्वरूप ही है कि इस बार पूजा में बर्मिंघम स्थित भारतीय उच्चायोग से अधिकारी एवं स्थानीय नगर पार्षद भी सम्मिलित होंगे।
6000 ठेकुआ वितरण-
छठ के प्रसाद की महिमा भी खूब होती है। तो इस बार भी पिछली बार की ही तरह 6000 ठेकुआ वितरण की योजना है। पैकेट से लेकर एड्रेस तक इकट्ठा कर लिया गया है। पारितोष कहते हैं सोच सिर्फ एक है कि जो पूजा में किसी कारणवश सम्मिलित नहीं हो पाएंगे उन तक प्रसाद पहुंच जाए और वो विदेश में भी देश में होने के एहसास से वंचित न रह जाएं।