मंत्री का यह अनुरोध देश भर में बार-बार हो रही अवैध शराब दुर्घटनाओं के मद्देनजर आया है।
पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से उद्योग (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत मिथाइल अल्कोहल (मेथनॉल) के उपयोग को विनियमित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
मंत्री का यह अनुरोध देश भर में बार-बार हो रही अवैध शराब दुर्घटनाओं के मद्देनजर आया है, जिसके परिणामस्वरूप इस अत्यधिक विषैले औद्योगिक रसायन के अनियमित उपयोग के कारण निर्दोष लोगों की जान चली गई है।
मेथनॉल के गुप्त उपयोग से जुड़ी नकली शराब के सेवन से बड़े पैमाने पर लोगों की मौत की बार-बार हो रही घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने गंभीर नियामक शून्यता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि मेथनॉल का भौतिक स्वरूप, गंध और शामक गुण एथिल अल्कोहल से काफी मिलते-जुलते हैं, जिससे यह अवैध शराब आपूर्ति श्रृंखला में जाने पर एक मूक हत्यारा बन जाता है।
मंत्री महोदय ने बताया कि उद्योग (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने की केन्द्र सरकार की शक्तियों के बावजूद, मिथाइल अल्कोहल (मेथनॉल) अभी भी अस्पष्ट क्षेत्र में है, जिसके कारण निगरानी और अनुपालन में व्यवस्थित विफलताएं हो रही हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान कानूनी ढांचा इस पदार्थ की आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करता है, न ही यह ट्रैकिंग तंत्र, खरीदारों के पंजीकरण या अंतर-राज्य विनियमन को अनिवार्य बनाता है।
उन्होंने उद्योग (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951 में तत्काल संशोधन की सिफारिश की, ताकि मिथाइल अल्कोहल (मेथनॉल) को विनियमित उद्योग/पदार्थ के रूप में स्पष्ट रूप से शामिल किया जा सके, साथ ही इसके विनिर्माण, कब्जे, बिक्री, भंडारण और संचलन को विनियमित करने के लिए विशिष्ट और बाध्यकारी नियम या अधिसूचनाएं जारी की जा सकें।
मंत्री ने मेथनॉल की आवाजाही पर नज़र रखने और उसका पता लगाने के लिए एक केंद्रीय अधिदेश लागू करने का भी सुझाव दिया, जिसमें बारकोडिंग या इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग, खरीदारों का अनिवार्य पंजीकरण और उपयोग का सख्त दस्तावेजीकरण शामिल है।
उन्होंने सुझाव दिया कि इसे कड़े दंड प्रावधानों, वास्तविक समय निरीक्षण प्रोटोकॉल और त्वरित क्रॉस-ज्यूरिस्डिक्शन प्रवर्तन कार्रवाई करने की क्षमता द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये उपाय न केवल नकली शराब के उत्पादन में मेथनॉल के दुरुपयोग को रोकेंगे बल्कि औद्योगिक पारदर्शिता को भी मजबूत करेंगे और खतरनाक रसायनों तक अनधिकृत पहुंच को रोकेंगे।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विधायी शून्यता को भरने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए समापन किया तथा यह सुनिश्चित किया कि रोके जा सकने वाले नियामक अंतराल के कारण किसी की जान न जाए।