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भारत-पाकिस्तान युद्ध बीच 0 लाइन पर बसे गांवों में डर का माहौल

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भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए सीमा और जीरो लाइन पर दहशत का माहौल है और थेह कल्ला, गिल पन्न गांव के लोग अपने घरेलू सामान, कृषि उपकरण और पशुधन को सुरक्षित स्थान

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए सीमा और जीरो लाइन पर दहशत का माहौल है और थेह कल्ला, गिल पन्न गांव के लोग अपने घरेलू सामान, कृषि उपकरण और पशुधन को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं। इन गांवों में पहुंचकर दोनों देशों के बीच बने माहौल के बारे में जानकारी जुटाई गई। थेह कल्ला गांव के 90 वर्षीय कश्मीर सिंह, जिन्होंने अपने जीवन में 1965 और 1971 के युद्ध देखे थे, ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हम इस गांव के पुराने वासी हैं और 1965 और 1971 जैसी उस समय की लड़ाइयों के दौरान भी हमने अपने परिवार और अपने पालतू जानवरों को लेकर अपने रिश्तेदारों के पास चले गए थे।
वहीं, खालड़ा वासी 88 वर्षीय बापू मोहन सिंह ने कहा कि हमने पहले युद्ध अपने घरों और गांवों में लड़े थे। अब सरकारी व्यवस्था बहुत तेज है, मतलब आम लोगों को हर समस्या के बारे में पहले से ही जानकारी दे दी जाती है और बताया जाता है कि आप कैसे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं। हमारे समय में लोग अपने घरों में 5-7 फीट गहरे गड्ढे बनाकर उनमें राशन-पानी जमा करते थे।
अगर कोई बाहर रह जाता तो वे पुराने मिट्टी के घरों में या खुले आसमान के नीचे, घने पेड़ों के नीचे बैठकर अपना समय बिताते।उन्होंने बताया कि पिछले युद्धों में हम अपने सैनिकों के खाने-पीने का सामान मिलजुल कर उन तक पहुंचाते रहे हैं। उन्होंने आम जनता से युद्ध की झूठी अफवाहों से खुद को बचाने की अपील की। इस दौरान सुखदेव सिंह थेह कल्ला, राजबीर सिंह गिल पन्न मौजूद थे।

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