आतंकी हमले का असर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर तो पड़ा ही है, साथ ही इसका प्रभाव धार्मिक स्थलों की यात्रा पर भी देखा जा रहा है।
पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले का असर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर तो पड़ा ही है, साथ ही इसका प्रभाव धार्मिक स्थलों की यात्रा पर भी देखा जा रहा है। करतारपुर साहिब जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में अचानक गिरावट आई है।
जानकारी के मुताबिक, जहां इस महीने की शुरुआत में प्रतिदिन 400 से अधिक श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर के ज़रिए पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जा रहे थे, वहीं हाल के दिनों में यह संख्या घटकर 300 के आसपास रह गई है। कल 493 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया था, लेकिन केवल 333 ही पाकिस्तान पहुंचे और 160 श्रद्धालु अंतिम समय में नहीं आए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान प्रत्येक श्रद्धालु से लगभग 1,700 रुपये (20 डॉलर) का प्रवेश शुल्क वसूलता है। बावजूद इसके, श्रद्धालु लंबे समय से करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए उत्साहित रहते हैं। दर्शन कर लौटे श्रद्धालुओं ने बताया कि वहां का माहौल शांतिपूर्ण रहा और आतंकी हमले को लेकर आयोजकों की ओर से कोई चर्चा नहीं की गई।
-पहलगाम आतंकी हमला: देश में रोष
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के प्रसिद्ध बैसरन मैदान में आतंकवादियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं और घाटी में तलाशी अभियान तेज कर दिए गए हैं।
देशभर में इस हमले को लेकर तीव्र विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है। ऐसे माहौल में श्रद्धालुओं के मन में असुरक्षा और तनाव साफ झलक रहा है, जो करतारपुर साहिब जाने वाली संख्या में गिरावट से स्पष्ट होता है।
-धार्मिक आस्था और सुरक्षा के बीच संतुलन की चुनौती
हालिया घटनाक्रम से यह सवाल भी उठता है कि धार्मिक यात्राएं राजनीतिक और सुरक्षा परिस्थितियों से किस हद तक प्रभावित होती हैं। करतारपुर कॉरिडोर, जो शांति और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक माना जाता है, अब एक बार फिर भूराजनीतिक तनावों के साए में आ गया है।